लफ़्ज़ों की काट-छाँट में उन्वान1 मर गया
अब क्या कहूँ चमकता चेहरा किधर गया
अंधे शहर के लोग ख़फ़ा उससे हो गए
दीवानावार वो लिए दीपक जिधर गया
उस-उस तरफ़ के लोग भी सूखे से फट गए
सियासी स्याह बादल उड़ कर जिधर गया
इश्क़ ही था जिससे दुनिया को थी उम्मीद
मतलब की भाग दौड़ में वो भी बिखर गया
दिल में दौर-ए-दुनिया की काली रात थी
रोशन निगाह पाई तो दिन निखर गया
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1. शीर्षक
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(उन ब्लॉगरों को समर्पित जिनकी ग़ज़लें, कविताएँ पढ़ते-पढ़ते अकवि प्रेरित सा हो गया)
रचना बहुत अच्छी लगी ..
आपमें एक बेहतर कवि छिपा है भाई जी !
शुभकामनायें !
ढेरों बधाईयाँ. प्रवाहों से प्रभावित हुए बिना नहीं रहा जा सकता!
बहुत खूबसूरत -लगता नहीं यह मैडेन है
भावो को संजोये रचना…
वल्लाह एक फ़िक्र है हर एक शेर में,
इल्मे-कलाम वाक़ई दिल में उतर गया.
आशा है कि प्रेरणा और धधके तो हमें भी अपनी जलती आग से कुछ राहत मिले . आपको पढ़कर .. वैसे कौन कहेगा कि आप यूँ ही लिख लिए होंगे ..
इश्क़ ही था जिससे दुनिया को थी उम्मीद
मतलब की भाग दौड़ में वो भी बिखर गया
sundar….
उस-उस तरफ़ के लोग भी सूखे से फट गए
सियासी स्याह बादल उड़ कर जिधर गया
वाह …बहुत खूब …
बहुत ही अच्छा लिखे हैं सर!
सादर
बहुत ही बेहतरीन गजल..
..
🙂
हृदयस्पर्शी काव्याभिव्यक्ति।
बहुत सुन्दर ग़ज़ल है भूषण जी ! पढकर अच्छा लगा !
अंधे शहर के लोग ख़फ़ा उससे हो गए
दीवानावार वो लिए दीपक जिधर गया
khoob kaha hai, sir!
सभी शेर बहुत अर्थपूर्ण, ये शेर आशा का संचार कर रहा…
दिल में दौर-ए-दुनिया की काली रात थी
इक रोशनी को देखा तो दिन निखर गया
बहुत खूब, बधाई.
आपके अंतर्मन में काव्य का अंकुर जगा,
आप हो गए हमारे सुहृद, सहचर, सगा।
खुशी हुई, आपकी धारदार ग़ज़ल पढ़कर।
अंधे शहर के लोग ख़फ़ा उससे हो गए
दीवानावार वो लिए दीपक जिधर गया
ऐसी हक़ीकत बयानी दुर्लभ है।
शुक्रिया सतीश भाई, आपकी तीव्र संवेदनाएँ दुर्लभ हैं.
आपका यह शेर इस पूरी ग़ज़ल पर भारी पड़ा है :))
दुआओं के लिए शुक्रिया. वैसे यूँ ही नहीं लिखा है, सभी गुरु साथ हैं.
संगीता बहन, आपका आभार.
आपका आना मेरा सौभाग्य है इंद्रनील जी. आभार.
शुक्रिया डॉ. जेन्नी.
यह सब आप ही की तारीफ़ है महेंद्र जी.
दिल में दौर-ए-दुनिया की काली रात थी
इक रोशनी को देखा तो दिन निखर गया….वाह: बहुत खूब, इस खुबसूरत गज़ल के लिए बधाई
दिगम्बर नासवा ✆ dnaswa@gmail.com to me
इश्क़ ही था जिससे दुनिया को थी उम्मीद
मतलब की भाग दौड़ में वो भी बिखर गया …
वाह … सच कहा है … इश्क भी मतलब की आड़ में पिस गया है आज … लाजवाब शेर हैं सभी …
वाह … बहुत खूब … इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए आपका आभार
वाह बहुत खूब लाजवाब रचना ॥क्या बात है अंकल है मुझे तो पता ही नहीं था की आप शायर भी है …. 🙂
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 25/08/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!