मैं युवावस्था से ही स्वामी अग्निवेश का कार्य पसंद करता हूँ. सन् 1970 के आसपास मेरा आर्य समाज से संपर्क था. वे तब संन्यास लेकर कर आर्य समाज में नवप्राण फूँकने का संकल्प लेकर मैदान में उतरे थे. सैक्टर 22, चंडीगढ़ में दिए अपने भाषण में उन्होंने ऐलान किया था कि यदि मैं आर्य समाज को फिर से खड़ा न कर सका तो मैं ख़ुद को आग लगा लूँगा. एक राजनीतिक पार्टी का गठन भी किया था. उनके साथ हरियाणा के एक अन्य संन्यासी स्वामी इंद्रवेश भी थे. इंद्रवेश का मुखमंडल तेजस्वी था और अग्निवेश की वाणी का ओज प्रखर. दोनों युवा ब्रह्मचारी थे.
आर्य समाज के आंतरिक दायरे में उन दिनों खुसुर–पुसुर थी कि अग्निवेश नक्सली हैं. इसके कई कारण हो सकते थे. एक तो यह कि इनका जन्म नक्सली क्षेत्र (आज के छत्तीसगढ़) में हुआ. (इनकी जाति या पारिवारिक पृष्ठभूमि की मुझे जानकारी नहीं है). इनकी शिक्षा लाल बंगाल में हुई जहाँ ये मार्क्सवादी विचारकों के संपर्क में न आए हों इसकी संभावना कम है. तीसरा यह कि ग़रीब और ग़रीबी के प्रति बोलते समय उनकी वाणी में अग्नि प्रकट हो जाती थी. अन्य कारण भी होंगे.
1970 के आसपास सैक्टर 22 के आर्य समाज में विद्यार्थियों के लिए आयोजित एक शिविर में मैंने हिस्सा लिया था. प्रशिक्षक स्वयं अग्निवेश थे. वहाँ देखा कि इनका व्यक्तिगत जीवन खुली किताब जैसा था (संभवतः इनकी जीवन–शैली आज भी वैसी है.). तत्पश्चात इन्हें समाचारों से ही जाना और सोचता रहा कि देखें ये आर्यसमाज में नई प्राण प्रतिष्ठा कैसे करते हैं.
अब 41 वर्ष हो चुके हैं. इस बीच टीवी पर हुई चर्चाओं में इन्हें विभिन्न राष्ट्रीय विषयों पर विवेकपूर्वक बोलते देखा है. बंधुआ मज़दूरों को दासत्व से मुक्त कराते इनके संघर्ष को जाना है.
मैं स्वामी अग्निवेश को सभी वर्तमान महात्माओं, साधुओं, संतों, स्वामियों में प्रबुद्धतम और संतगति प्राप्त संन्यासी के रूप में देखता हूँ. यह इसलिए कहा क्योंकि इनका धार्मिक जीवन और समाज-सेवा एकाकार हो चुके हैं. इन पर घातक हमले हुए हैं. सस्ते श्रम का प्रबंध कराने वाली दासता की प्रथा कई लोग अभी छोड़ना नहीं चाहते. अपने कार्य के प्रति इनकी प्रतिबद्धता देखने योग्य है. आज मेरे लिए यह बात महत्व खो चुकी है कि आर्य समाज ने कितनी उन्नति की.
इनके नक्सली होने संबंधी आरोप कुछ दिन पूर्व फिर लगे. एक सीडी प्रचारित हुई जिसके अनुसार जब ये अपहृत सुरक्षा जवानों को नक्सलियों से छुड़ाने गए तब नक्सलियों के साथ नक्सलवादी नारे लगाए. सोचता हूँ कि जवानों को सुरक्षित लाने के लिए यदि नारों से स्थिति सुखद बनती है तो इससे बेहतर और क्या हो सकता था.
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मैं भी आर्य समाजी हूँ पर
इन्होंने हिन्दू के विरूद्द अमरनाथ के बारे में जो कहा वो सही नहीं लगा।
क्या ये ऐसा ब्यान मुस्लिम के खिलाफ़ भी दे सकते है, कभी नहीं।
He's a man of immense knowledge and good character !!!
I respect him.
बहुत ही बढ़िया हैं अग्निवेश जी, पर राजनीति में इनके विचारों से मैं हमेशा सहमत नहीं हो पाता,
साभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत ही बढ़िया हैं अग्निवेश जी, राजनीति विचारों से मैं हमेशा सहमत हो जाता हूँ
इस पर मैंतो ज्यादा धयान नहीं देता सही है तो सही गलत है तो गलत
स्वामी अग्निवेश जी समाज सेवा के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
उनसे संबंधित जानकारी के लिए आभार।
Dear Bhushanji Dharmachar….
Very good informative post and knowledgeable post on Agnivesh…he has serve for the poor labors and poor peoples,,,and Lively hood… I like his Vedic Socialism…..from nitin….
कुछ बयानों को छोड़ दें तो स्वामी जी एक जुझारू व्यक्तित्व के मालिक हैं ….
स्वामी अग्निवेश जी से संबंधित जानकारी के लिए आभार।
आदरणीय भूषण जी नमस्कार
सच कहा आप ने
सोचता हूँ कि जवानों को सुरक्षित लाने के लिए यदि नारों से स्थिति सुखद बनती है तो इससे बेहतर और क्या हो सकता था.
-कुछ सार्थक करने के लिए कुछ न कुछ करना भी होता है
मेरी कविता के विषय में भी सत्य वचन आप का
सत्य कहा आप ने की वह उसे चबा गया होगा निगल कर हजम कर गया होगा अब तक ,ये तो सर्व विदित है ही काश हमारे जन मांस की आँख खुले और वह भी उचित मौके पर इन्हें चबा और निगल जाए
धन्यवाद आप का प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद -सुन्दर पंक्तियाँ आप की
रंज लीडर को बहुत है मगर आराम के साथ
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
सुन्दर प्रस्तुति